उत्तराखंड राज्य अपने खूबसूरत,उत्तराखंडकीमाउंटेनलेक्सजिसकेआगेफेलहैस्विट्जरलैंडकीखूबसूरती ऊंचेपहाड़ों, हरे-भरे घास के मैदानों और घुमावदार सड़कों के लिए प्रसिद्ध है. यूं तो उत्तराखंड में बहुत सी झीलें हैं लेकिन यहां कुछ झीलें ऐसी भी हैं जो काफी ऊंचे पहाड़ों पर स्थित हैं. इन झीलों के बारे में बहुत कम ही लोगोको पता है. ऐसे में आज हम आपको उत्तराखंड के पर्वतों के बीच छिपी कुछ ऐसी झीलों के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपको स्विट्जरलैंड की याद दिला देंगी.इस लिस्ट में सबसे ऊपर नाम रूपकुंड लेक का है. रूपकुंड लेक उत्तराखंड की सबसे ऊंची झीलों में से एक है. रूपकुंड झील उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है. यहां से आप त्रिशूल पीक को आसानी से देख सकते हैं. इस झील को रहस्यमयी झील के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहां पर बहुत साल पहलेमानव कंकाल पाए गए थे. गर्मियों के मौसम में घूमने के लिए रूपकुंड लेक काफी अच्छी जगह है. यह लेक हर मौसम में जमी ही रहती है.केदार ताल उत्तरकाशी क्षेत्र में 5000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक ग्लेशियरझील है. केदार ताल से थलयासागर चोटी को आसानी से देखा जा सकता है.इस झील को काफी पवित्र माना जाता है. इसझील का पानी साल में 8 महीने जमा ही रहता है. यह झील बर्फ से ढके पहाड़ों से घिरी है. मान्यताओं के अनुसार, सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने इस झील के किनारे तप किया था. यह झील नैनीताल से 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां पर सात झीलों काएक समूह है. जिसमें से कुछ झीलें अब सूख चुकी हैं. यह घने बांज के पेड़ों से घिरी जगह पर स्थित है.यहां पर पक्षियों की आवाज आपको भी मंत्रंमुग्ध कर सकती है.देव ताल को देवताओं के ताल के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि इस ताल में देवता स्नान करते थे. यह जगह माना पास के जीरो पॉइंट से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर है. यह ताल चारों तरफ से बर्फ के पहाड़ों से घिरा हुआ है.